RCFP_ Family Planning methods Hindi

RCFP_ Family Planning methods Hindi



1 Pages 1-10

▲back to top


1.1 Page 1

▲back to top


ifjokj
fu;kstu
ds
mik;

1.2 Page 2

▲back to top


पी.एफ.आई
पापुलेशन फाउं डेशन ऑफ इंिडया (पी.एफ.आई) एक राष्ट्रीय गरै सरकारी सं गठन
(एन.जी.ओ.) है जो जनसं ख्या और िवकास सं बं धी ऐसी रणनीितयों और नीितयों के िनमाणर् और
कारगर कायानर् ्वयन को प्रोत्साहन देता है जो िलगं के प्रित सं वेदनशील हो। पी.एफ.आई का गठन
सामािजक रूप से प्रितबद्ध उद्योगपितयों के एक समूह ने स्वगीर्य श्री ज.े आर.डी.टाटा और डा. भरत राम
के नते तृ ्व मंे 1970 मंे िकया था।
पी.एफ.आई जनसं ख्या से जड़ु े मुद्दों को मिहलाओं और पुरुषों के सशिक्तकरण के व्यापक पिरप्रके ्ष्य
में उठाता है तािक वे अपने जीवन, स्वास्थ्य और कल्याण के बारे में िनणयर् ले सकें । यह सं स्था सरकार
और समान िवचारों वाले गरै सरकारी सं गठनों के साथ िमलकर पुरुषों और मिहलाओं को स्वस्थ पिरवार
के िनयोजन और पालन-पोषण के बारे में जानकारी देने के िलए काय्र करती ह।ै पी.एफ.आई का
माग्रिनदरे्शन इसका श्रेष्ठ सं चालक मं डल और सलाहकार पिरषद करता है िजसमें नागिरक समाज,
सरकार और िनजी क्षते ्र के िवख्यात व्यिक्त शािमल ह।ंै

1.3 Page 3

▲back to top


िवषय सूची
सेन्टक्रोमन
डायफ्राम
मिहला कं डोम
इंप्लाटं स्
िलवोनोरजेस्टेर्ल इंटर्ायटु ेराइन िसस्टम
गभर्िनरोधक इंजेक्शन
के वल प्रोजेिस्टन वाली गभ्रिनरोधक गोिलयाँ

1.4 Page 4

▲back to top


1.5 Page 5

▲back to top


पिरवार िनयोजन के उपाय
सेन्टक्रोमन
वैिश्वक साक्ष्य और काय्रक्रम के अनभु व
भारत में
भारत के कें द्रीय औषध अनसु ं धान पिरषद द्वारा नब्बे के दशक के अिं तम वषोर्ं में िवकिसत संेटक्रोमन एक नॉन-स्टीरॉयड
गभर्िनरोधक गोली है िजसे हफ्ते मंे एक बार खाना होता ह।ै इसके व्यापक नदै ािनक परीक्षण हुए ह।ैं सेंटक्रोमन एस्टो्र जने िरसे र
मॅाड्यलू ेटर है यािन यह गोली शरीर में ऐस्टो्र जने ग्राह्यता को िनयंित्रत करती ह।ै यह ऐस्टोर् जने ग्रहण करने वाले शरीर के कु छ
िहस्सों की क्षमता बढ़ा देती है तो कु छ की ऐस्टोर् जने ग्राही क्षमता कम कर देती ह।ै
इस प्रकार, एक ओर तो यह अडं ाशय, गभाशर् य और स्तन जसै े अगं ों की ऐस्टो्र जने ग्राही क्षमता कम कर गभ्रिनरोधक गोली का
काम करती ह,ै वहीं हिड्डयों मंे मौजदू ऐस्टो्र जने अिभग्रािहयों को उत्प्रिे रत कर हिड्डयों के िनमाणर् मंे मदद करती ह।ै स्तन कैं सर
और गभाश्र य के कैं सर की रोकथाम मंे भी यह महत्वपूण्र भूिमका िनभाती ह।ै अनचाहे गभ्र से बचने के िलए इस्तमे ाल की जाने
वाली सेंटक्रोमन (सहले ी और नोवके ्स के नाम से लोकिप्रय) को भारत सरकार िदसम्बर 1995 से सिब्सडी भी दे रही ह।ै
सेंटक्रोमन प्रजनन चक्र में तीन स्तरों पर काम करती ह:ै
1. यह फै लोिपयन ट्यबू के रास्ते िनषेिचत अडं ाणु की गित तजे कर देती है तािक वह एं डोमीटीर् यम (गभाश्र य मंे मौजदू म्यकू स
मंेब्रने की परत) के इंप्लाटं ेशन के िलए तयै ार होने से पहले ही गभाशर् य तक पहुँच जाये और अडं ाणु इंप्लाटं न होने पाये।
2. यह अडं ाणु के पिरप होने की गित तजे कर देती है तािक जब तक वह एं डोमीटी्र यम तक पहुंचे, अडं ाणु जरूरत से ज्यादा
पिरपक्व हो जाए और एं डोमीटीर् यम में इंप्लाटं न हो सके ।
3. यह एं डोमीटीर् यम की विृ द्ध और िवकास की गित को कम कर देती है तािक जब िनषेिचत अडं ाणु गभाशर् य के पास पहुंचे, तो
एं डोमीटीर् यम उसे ग्रहण करने के िलए पूरी तरह तयै ार न हो।

1.6 Page 6

▲back to top


सेन्टक्रोमन : सामान्य जानकारी
सेन्टक्रोमन (या ओमेर्लोिक्सफे न) एक एसईआरएम यािन शरीर के अलग-अलग ऐस्टो्र जने अिभग्रिहयों को अलग-अलग ढंग से िनयंित्रत
करने वाला, प्रभावी नॉन स्टीरॉयडल, नॉन हामोर्नल गभर्िनरोधक ह।ै यह शरीर के ऐस्टो्र जने प्रितरोधी क्षमता को उत्तिे जत या मं द कर उन्हें
प्रभािवत करता ह।ै
सेन्टक्रोमन 30 िमलीग्राम की गोिलयों के रूप मंे िमलता ह।ै पहले तीन महीने तक हफ्ते में दो बार एक-एक गोली (जसै े रिववार और बधु वार
को) खानी होती है और उसके बाद हफ्ते में िसफ्र एक बार(रिववार को) यह गोली खानी होती ह।ै पहली गोली मािसक स्राव के पहले िदन
खानी होती ह।ै पहले महीने कोई और गभर्िनरोधक तरीका जसै े कं डोम भी इस्तमे ाल करना चािहए।
िकतना कारगर है
इसके असफल होने की दर 2 प्रितशत से कम ह।ै (1)
फायदे
यह बहुत प्रभावी ह।ै
इसका इस्तमे ाल सुरिक्षत ह।ै लेिकन ऐस्टो्र जने और प्रोजसे ्टोर् न यकु ्त गभर्िनरोधक गोिलयां खाना शरु ु करने से पहले पेडू की सम्पूणर् जाचं
करवाई जानी जरूरी ह।ंै िजन मिहलाओं को मोविे रयन िसस्ट की िशकायत हो‚ यह गभर्िनरोधक उनके िलए उपयकु ्त नही ह।ै
इन गोिलयों में हामोर्न नहीं होते इसिलए इनसे िमचली, चक्कर आना, वजन बढ़ना और गभ्रिनरोधक गोिलयों से जड़ु े अन्य दषु ्पिरणाम नहीं
होत।े
खून के जमने, लीवर कीे कायर्क्षमता और िलिपड प्रोफ़ाइल पर इनका कोई बरु ा असर नहींपड़ता। इसिलए सेंटक्रोमन के कारण खून के थक्के
जमने या कोलेस्टा्र ल का स्तर बढ़ने का कोई खतरा नहीं होता।
यह टॉिक्सक या िवषैले प्रभाव वाला नहीं ह।ै सेंटक्रोमन का सेवन करने के दौरान मिहलाओं के गभ्रवती हो जाने पर भी उनके बच्चों में कोई
जन्मजात िवसं गित नहीं पायी गयी।
चंूिक इससे ऑव्यूलेशन यािन अडं ाणु बनने की प्रिक्रया पर कोई रोक नहींलगती, इसीिलए गोिलयां खाना बं द करने पर मिहला ज्यादा जल्दी
गभ्रधारण के योग्य हो जाती है और बाझं पन का खतरा भी कं म होता ह।ै
सं भािवत दषु ्प्रभाव
सेन्टक्रोमन के कारण कु छ मिहलाओं को मािसक स्राव देर से आ सकता ह।ै लेिकन ऐसा 10% से भी कम मिहलाओं मंे होता है और ज्यादातर
शुरू के तीन महीनों मंे ऐसा होता ह।ै जब शरीर इस गोली का आदी हो जाता है तो मािसक भी िनयिमत हो जाता ह।ै
पहले तीन महीनों में ज्यादा मािसक स्राव, स्तनों में भारीपन और दद्र, पेट फू लना और हल्के -फु ल्के मुहासँ े हो सकते ह।ैं
कु छ मिहलाओं मंे कु छ समय इस्तमे ाल के बाद मािसक स्राव कम हो सकता ह।ै
सं दभ्र:
1. Gupta RC, P. J. (1995 Nov). Centchroman: a new non steroidal oral contraceptive in human milk. Contraception, 52(5): 301-305.
2. Lal J, A. O. (1995 Nov). Pharmacokinetics of Centchroman in healthy female subjects after oral administration. Contraception, 52(5): 297-
300.
3. Lal J, Nityanand. S. (2001 Jan). Optimization of contraceptive dosage regimen of Centchroman. Contraception , 63(1): 47-51.
4. Nityanand S, et. al. (1994). Contraceptive efficacy and safety of centchroman with biweekly-cum-weekly schedule. Current Concepts in
Fertility Regulation and Reproduction. Eds. C.P. Puri and P.F.A. Van Look , 61.
5. Puri V. S. R. (1986). Prostanoid mediated effects of centchroman, a nonsteroidal oral contraceptive. Agents Actions, 18:596–9.
6. Roy S, et. al. (1976, Sept). Induction of ovulation in the human with centchroman: a preliminary report. (27 (9):1108-10).
7. Singh MM, et. al. (1986 Jan). Effect of centchroman on tubal transport and preimplantation embryonic development in rats. J Reprod
Fertil., 76(1):317-24.

1.7 Page 7

▲back to top


पिरवार िनयोजन के उपाय
डायफ्राम
वैिश्वक साक्ष्य और कायर्क्रम के अनभु व
एक गभर्िनरोधक के रूप में डायफ्राम का इस्तेमाल बहुत समय से िकया जाता रहा है। िवकिसत देशों मंे मिहलाओं ने
इस साधन को पसं द िकया है1। िसल्क्स (SILCS) डायफ्राम एक नया और एक ही नाप का साधन है, जो गभार्शय
ग्रीवा के अवरोधक के रूप एस.टी.आई. (यौन सं क्रमण)/एच.आई.वी. की रोकथाम और गभ्रधारण से बचने के प्रयासों
में से एक है । इस नए िडजाइन को काफी पसं द िकया गया है, यह काफी कारगर है और इसे लगाना व इस्तेमाल करना
भी आसान है2
2008 मंे दिक्षण अफ्रीका और थाईलंैड मंे दंपितयों के बीच िकए गए एक अध्ययन3 मंे मिहलाओं ने कहा िक िसल्क्स
डायफ्राम का इस्तेमाल आसान था और इस साधन के प्रयोग मंे सुिवधा और सहजता का स्तर 80% से अिधक था।
पुरुषों ने भी 60% मामलों में इसे सहज और सुिवधाजनक माना।
डोिमिनकन िरपिब्लक में परंपरागत डायफ्राम और िसल्क्स डायफ्राम का एक तुलनात्मक अध्ययन िकया गया और
पाया गया िक 20 मंे से 19 मिहलाओं ने कु छ समय इस्तेमाल करने के बाद िसल्क्स डायफ्राम को ही पसं द िकया।
नैदािनक परीक्षणों से प्राप्त आकं ड़ों से भी इस बात की पुिष्ट हुई है िक एक ही नाप का यह साधन ज्यादातर मिहलाओं
को सुिवधाजनक लगता है4
भारत
1960 और 1970 के दशक में राष्टर्ीय पिरवार िनयोजन काय्रक्रम मंे डायफ्राम का इस्तमे ाल िकया जाता था। लेिकन आई.य.ू
डी. (इंटा्र यटू ेराइन िडवाइस) के आने के बाद से डायफ्राम के इस्तमे ाल में कमी आ गई। इस समय गैर सरकारी सं गठन पाथ
(PATH) द्वारा राजस्थान और कनाटर् क मंे िसल्क्स डायफ्राम के बारे मंे अध्ययन करवाया जा रहा ह।ै
1 Maher JE, Harvey MS, Thorburn Bird S, Stevens VJ, Beckman LJ. Acceptability of the vaginal diaphragm among current users. Perspect Sex
Reprod Health 2004; 36: 64–71.
2 Mauck CK, Creinin MD, Rountree W, Callahan NM, Hillier SL. Lea’s Shield: Colposcopic and microbiological testing during 8 weeks of use.
Contraception 2005; 72: 53–59.
3 Short-term acceptability of a single-size diaphragm among couples in South Africa and Thailand; Patricia S Coffey, Maggie Kilbourne-
Brook, Mags Beksinska and Earmporn Thongkrajai. J Fam Plann Reprod Health Care 2008 34: 233-236 doi: 10.1783/147118908786000569
4 Technology Solution for Global Health. ‘SILCS Diaphragm’, PATH, July 2013. http://www.path.org/publications/files/TS_update_silcs.pdf.
Accessed on 20 December 2015.

1.8 Page 8

▲back to top


डायफ्राम : सामान्य जानकारी
डायफ्राम मुलायम लेटेक्स, प्लािस्टक या िसिलकॉन का एक कप है (ये अलग अलग आकार मंे उपलब्ध होते ह)ैं िजसका
िकनारा लचीला होता है जो डायफ्राम को सही जगह पर िफट रखता है और इधर-उधर िखसकने नहीं देता। इसे सं भोग से पहले
योिन में काफी अदं र डालना होता है और यह गभाशर् य ग्रीवा (cervix) को ढक देता ह।ै
डायफ्राम पहली बार एक प्रिशिक्षत स्वास्थ्य प्रदाता या िचिकत्सक के िनदरे्शन मे ही लगाना चािहए जो मिहला के िलए डायफ्राम
सही आकार से सुिनिश्चत कर सके और उसे लगाना व िनकालना िसखा सके । डायफ्राम उपयोग करने से पहले पेड़ू की जाचं
जरूरी ह।ै
िकतना कारगर है
डायफ्राम इस्तमे ाल करने वाली हर 100 मंे से 84 मिहलाएं पहले वष्र में गभ्रवती नहीं होगं ी।
हर बार सं भोग के समय शुक्राणनु ाशक के साथ डायफ्राम का इस्तमे ाल करने से हर 100 मिहलाओं के वल 6 मिहलाएं ही
गभर्वती होगं ी।
डायफ्राम का इस्तमे ाल बं द करते ही मिहला गभर्धारण करने योग्य हो जाती ह।ै
डायफ्राम ज्यादा कारगर हो, इसके िलए हर बार सं भोग के पहले / इसका सही इस्तमे ाल िकया जाना ज़रूरी ह।ै
फायदे
हामोर्न सं बं धी कोई दषु ्प्रभाव नहीं होता।
कु छ यौन सं क्रमणों (क्लैमाइिडया, सुजाक, पेड़ू मंे सूजन सं बधी रोग, टी्र कोमोनेिसस, गभाशर् य ग्रीवा की कंै सर पूव्र िस्थित और
कंै सर की रोकथाम मंे मदद कर सकता है
सं भोग के समय से काफी पहले इसे शरीर में डाला जा सकता ह,ै िजससे सं भोग के दौरान कोई िदक्कत नहीं होती।
सं भािवत दषु ्प्रभाव
िलगं में या योिन में या उसके आसपास जलन
सं भािवत शारीिरक बदलाव:योिन में घाव
स्वास्थ्य जोिखम-
सामान्य से कभीकभार- मूत्र मागर् मंे सं क्रमण हो सकता है
कभीकभार- बकै ्टीिरयल वजै ाइनोिसस, कैं िडिडयािसस हो सकता है
अपवाद मामलों मंे- नॉनऑक्सीनॉल-9 जो एक शकु ्राणनु ाशक क्रीम ह,ै के बहुत ज्यादा इस्तमे ाल से एच.आई.वी.
सं क्रमण का खतरा बढ़ जाता है
बहुत ही कम मामलों मंे- टॉिक्सक शॉक िसडं ोर् म
डायफ्राम का इस्तमे ाल न करंे यिद यह समस्याएं हों - वजै ाइनोप्लास्टी करायी हो, योिन की दीवारंे सख्त हो,ं योिन का आकार
िबगड़ा हो, योिन की िसकु ड़न, मूत्राशय मंे बार-बार सूजन या सं क्रमण या टॉिक्सक शॉक िसडं ोर् म की िशकायत रही हो।
स्रोत: ‘पिरवार िनयोजन: स्वास्थ्य किर्मयों के िलए विै श्वक पुिस्तका’ 2011, िवश्व स्वास्थ्य सं गठन, जॉन हॉपिकं स और यएू सएड

1.9 Page 9

▲back to top


पिरवार िनयोजन के उपाय
मिहला कं डोम
वैिश्वक प्रमाण और काय्रक्रम के अनभु व
मिहला कं डोम मिहलाओंद्वारा इस्तेमाल िकया जाने वाला एकमात्र ऐसा गभर्िनरोधक है जो एचआईवी से भी बचाता है।
40 देशों में िकए गए अध्ययनों से पता चला है िक इसकी स्वीकायर्ता 37 से 93 प्रितशत तक है।1 थाईलंैड में िकए गए
एक अध्ययन के मतु ािबक, पुरुष और मिहला दोनों प्रकार के कं डोम उपलब्ध होने पर सुरिक्षत सं भोग के मामले 57%
से बढ़कर 88% हो गए और यौन सं क्रमण के मामले 52 प्रितशत से घटकर 40 प्रितशत रह गए।
2011 में िजम्बाब्वे, कै मरून और नाइजीिरया मंे पुरुषों मंे मिहला कं डोम की स्वीकाय्रता के बारे में िकए गए एक
अध्ययन में पाया गया िक सभी सहभागी गभ्रधारण, एचआईवी/ एसटीआई से बचाव के िलए मिहला कं डोम को अन्य
गभ्रिनरोधकों और पुरुष कं डोम के मक़ु ाबले बहुत अिधक कारगर मानते थे।2
ब्राज़ील, भारत, थाईलंैड, अमरीका और ज़ािम्बया में पहली पीढ़ी के मिहला कं डोम (FC1®) के बारे मंे िकए गए एक
अध्ययन मंे पाया गया िक पुरुष कं डोम के साथ-साथ मिहला कं डोम FC1® भी उपलब्ध होने पर सुरिक्षत सेक्स के मामलों
में विृ द्ध हुई और एसटीआई के मामलों में कमी आई।
भारत
भारत मंे मिहला कं डोम के वल गैर सरकारी क्षते ्र मंे उपलब्ध ह।ैं भारत मंे राष्ट्रीय एड्स िनयंत्रण सं गठन (नाको) का मिहला कं डोम
कायर्क्रम मिहला यौन किर्मयों को सशक्त बनाता है तािक वे पुरुषों को कं डोम का इस्तमे ाल करने के िलए राजी न करवा पाने
की िस्थित में खुद को एचआईवी सं क्रमण से बचा सकें । अित व्यािप्त वाले 6 राज्यों मंे गैर सरकारी सं गठनों के माध्यम से नाको
के मिहला कं डोम कायर्क्रम का कायान्र ्वयन िकया गया। इसके दौरान मिहला यौनकिर्मयों ने मिहला कं डोम को काफी पसं द
िकया। इसके इस्तमे ाल से असुरिक्षत यौन सं बन्धों के मामलों मंे करीब 5% की कमी भी आई ह।ै वतमर् ान में नाको चार राज्यो-ं
तिमलनाडु, आधं ्र प्रदेश, पिश्चम बं गाल और महाराष्टर् में मिहला कं डोम का इस्तमे ाल बढ़ाने सं बं धी कायर्क्रम को पैसा मुहयै ा करा
रहा ह।ै नाको की योजना कायर्क्रम का िवस्तार नौ अन्य राज्यों के दो से तीन िजलों में करने की ह।ै यएू नएफ़पीए की िवत्तीय
सहायता द्वारा मिहला कं डोम का इस्तमे ाल बढ़ाने सं बं धी एक और काय्रक्रम चार राज्यो-ं िबहार, झारखं ड, ओिडशा और राजस्थान
में चलाया जा रहा ह।ै नाको, मिहला कं डोम बहुत सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाता ह।ै 3
1 ‘Female Condom’ - PRODUCT BRIEF: Caucus on New and Underused Reproductive Health Technologies, Reproductive Health Supplies
Coalition. Last updated on January 2012. http://www.path.org/publications/files/RHSC_fem_condom_br.pdf Accessed on 30 Decem-
ber 2015.
2 Winny Koster, Marije Groot Bruinderink and Wendy Janssens. Empowering Women or Pleasing Men? Analyzing Male Views on Female
Condom Use in Zimbabwe, Nigeria and Cameroon. Int Perspect Sex Reprod Health. 2015 Sep;41(3):126-35. doi: 10.1363/4112615.
3 NACO Website available at: http://www.naco.gov.in/NACO/Divisions/Condom_Promotion/

1.10 Page 10

▲back to top


मिहला कं डोम : सामान्य जानकारी
मिहला कं डोम पतले, पारदशीर् मुलायम प्लािस्टक से बनी िझल्ली या आवरण है जो मिहला की योिन मंे ढीले ढाले ढंग से िफट
हो जाता ह।ै मिहला कं डोम के दोनों िसरों पर लचीले छल्ले होते ह।ंै
िकतना कारगर है
आम तौर पर पहले वष्र मिहला कं डोम इस्तमे ाल करने वाली 100 मंे से 21 मिहलाओं के ही गभ्रवती होने की सं भावना
ह।ै यािन मिहला कं डोम इस्तमे ाल करने वाली हर 100 में से 79 मिहलाएं गभ्र धारण नहीं करंेगी।
अगर हर यौन िक्रया के दौरान इसका सही इस्तमे ाल िकया जाए तो पहले वषर् में मिहला कं डोम इस्तमे ाल करने वाली
मिहलाओं के मामले मंे यह और भी कारगर होता है और हर 100 मिहलाओं पर गभर्धारण के 5 और मामले कम हो
जाते ह।ैं
हर यौन िक्रया के दौरान इसके सही उपयोग से एसटीआई और एचआईवी का जोिखम कम होता ह।ै
फायदे
मिहला कं डोम के इस्तमे ाल से गभर् धारण और एचआईवी सिहत यौन सं क्रमणों से बचाव होता ह।ै
मिहला कं डोम मुलायम और नम होते हंै जो सं भोग के समय पुरुषों के लेटेक्स कं डोम के मुक़ाबले ज्यादा सहज महसूस
होते ह।ैं
इनसे स्वास्थ्य को होने वाले िकसी नुकसान की जानकारी नहीं ह।ै
सं भािवत दषु ्प्रभाव
योिन या िलगं मंे या उसके आसपास हल्की जलन (खुजली, लाली या फंु सी)।
स्रोत: ‘पिरवार िनयोजन: स्वास्थ्य किर्मयों के िलए विै श्वक पुिस्तका’ 2011, िवश्व स्वास्थ्य सं गठन, जॉन हॉपिकं स और यएू सएड

2 Pages 11-20

▲back to top


2.1 Page 11

▲back to top


पिरवार िनयोजन के उपाय
इंप्लाटं स्
वैिश्वक प्रमाण और काय्रक्रम के अनभु व
एक िवकल्प के रूप में इंप्लाटं का इस्तेमाल: हाल ही मंे अनेक पूवीर् और दिक्षण अफ्रीकी देशों मंे गभर्िनरोधकों के इस्तेमाल में
सं तोषजनक वृिद्ध हुई है 1। जहां इसका मखु ्य कारण इंजेक्शन द्वारा िदये जाने वाले गभर्िनरोधकों के इस्तेमाल मंे हुई बढ़ोत्तरी है,
वहींइथोिपया, मालावी, रवाडं ा और तंजािनया जैसे देशोंमें बहुत कम समय में ही इंप्लाटं का इस्तेमाल भी काफी बढ़ा है। उदाहरण
के िलए, आज रवाडं ा में आधिु नक गभर्िनरोधकों का इस्तेमाल करने वाली प्रत्येक 7 मंे से 1 मिहला इंप्लाटं पर भरोसा करती है,
जबिक 2005 मंे इस पर भरोसा करने वाली मिहलाओं की सं ख्या हर 25 मंे से 1 मिहला से भी कम थी।ं ये रुझान दशा्रते हंै िक
िजन देशों में वतर्मान में इंप्लाटं व्यापक तौर पर और आसानी से उपलब्ध हंै, वहाँ अगर उन्हें और अिधक उपलब्ध कराया जाए तो
उनका इस्तेमाल कई गुना बढ़ सकता है। इनका इस्तेमाल करने वाली मिहलाओं का इनसे अत्यिधक सं तुष्ट होना (79%) और
उनका इस्तेमाल जारी रखने (1 वष्र के इस्तेमाल मंे लगभग 84%) जैसे तथ्य इस सं भावना को और भी बल देते हैं2,3,4
2008 और 2012 के बीच मैरी स्टोप्स इंटरनेशनल (एम.एस.आई.)5 ने िविभन्न तरह के गभर्िनरोधक तरीके महु ैया कराने सं बंधी
एक कायर्क्रम के दौरान अफ्रीका के उप-सहाराई इलाकों मंे 1.7 िमिलयन गभर्िनरोधक इंप्लाटं उपलब्ध कराए। इंप्लाटं का
इस्तेमाल करने वाले लोगोंने इन्हें अित सं तोषजनक पाया, काय्रर्कम मंे बेहतर स्वास्थ्य सेवा दी गई और िजन लोगोंको गभर्िनरोधक
तरीके कम सुलभ थे, उन तक पहुँच कर सामािजक सं गठनों और क्लीिनकों के जिरए गभ्रिनरोध की सुिवधा पहुंचाई गई।
उपलब्ध 3 गभ्रिनरोधक इंप्लाटं की प्रमखु िवशेषताएं
इंप्लानॉन®
जडेल®
िनमात्र ा /उत्पादक
मुख्य रासायिनक तत्व और उनकी मात्रा
लेबल पर िलखी प्रभावी प्रयोग की अविध
छड़ों की सं ख्या
लगाने और हटाने में लगने वाला अनुमािनत समय
इंप्लाटं की लागत (अमरीकी डॉलर मंे)
मकर्
68 िमग्रा. इटॉनोजसे ्टल्र
3 वष्र
1
लगाना: 1 िमनट
हटाना: 2–3 िमनट
$16.50
बये र हले ्थके यर
150 िमग्रा.लेवोनॉरजसे ्टल्र
5 वषर्
2
लगाना: 2 िमनट
हटाना: 5 िमनट
$8.50
इंप्लानॉन की लागत जड़ेल के लगभग बराबर करने के िलए भिवष्य मंे इंप्लानॉन की लागत मंे कमी की जा सकती ह।ै
¬a स्रोत: एफ.एच.आई.360, रेस्पॉन्ड पिरयोजना और य.ू एस.ए.आई.डी. द्वारा तयै ार की गई तािलका से सं शोिधत
सीनो इंप्लाटं II®
शं घाई दहुआ
150 िमग्रा.लेवोनॉरजसे ्टलर्
4 वषर्
2
लगाना: 2 िमनट
हटाना: 5 िमनट
$8.00
1 Somnath Roy, Deoki Nandan, Kiran Rangari, and T.G. Shrivastav. New Developments in Hormonal Injectable and Implant Contraceptives
for Women: Programme Introduction Guidelines. http://medind.nic.in/hab/t08/i1/habt08i1p1.pdf
2 Trussell J.Contraceptive efficacy. In: Hatcher R A, Trussell J, Nelson A L, Cates W, Kowal D, Policar M , editors. Contraceptive technology.
20th rev ed. New York: Ardent Media; 2011. Available from:http://www.contraceptivetechnology.org/CTFailureTable.pdf
3 International Family Planning Perspectives, Volume 28, Number 1, March 2002, DIGEST, http://www.guttmacher.org/pubs/
journals/2805002a.html
4 Peipert J. F. et al. Continuation and satisfaction of reversible contraception. Obstet Gynecol. 2011;117(5), 1105–1113.
5 Susan Duvall, Sarah Thurston, Michelle Weinberger, Olivia Nuccio, Nomi Fuchs-Montgomery. Scaling up delivery of contraceptive implants
in sub-Saharan Africa: operational experiences of Marie Stopes International. Glob Health Sci Pract. 2014 February; 2(1): 72–92. Published
online 2014 February 4. doi: 10.9745/GHSP-D-13-00116

2.2 Page 12

▲back to top


भारत मंे इंप्लाटं का इस्तेमाल
1993 मंे कराए गए भारतीय िचिकत्सा अनुसं धान पिरषद (आई.सी.एम.आर.) के एक अध्ययन मंे कु ल 8,077 मिहलाओं को
गभर्िनरोध के सभी उपलब्ध तरीकों पर एक सं तिु लत प्रस्तिु त दी गई और उसमें 35% मिहलाओं की पहली पसं द नॉरप्लाटं ®
रहा (बाजवा और अन्य 2000)।
इंप्लाटं : सामान्य जानकारी
इंप्लाटं प्लािस्टक की छोटी छड़ या कै प्सलू होते ह,ंै िजनमें से प्रत्येक का आकार लगभग एक मािचस की तीली के बराबर होता है और
इनसे प्रोजिे स्टन का स्राव होता है जो प्राकृ ितक हामोर्न प्रोजसे ्टेरोन जसै ा ही होता ह।ै
एक प्रिशिक्षत िचिकत्साकमीर् द्वारा मिहला की बाहं के ऊपरी िहस्से में एक छोटा सा चीरा लगा कर त्वचा के नीचे इंप्लाटं लगाया जाता ह।ै
इसका इस्तमे ाल ऐसी मिहलाएं कर सकती हैं जो एस्टोर् जने यकु ्त गभर्िनरोधकों का इस्तमे ाल नहीं कर सकती हैं और इसका प्रयोग स्तनपान
कराने की पूरी अविध के दौरान िकया जा सकता ह।ै
िकतना कारगर है
इंप्लाटं का इस्तमे ाल करने वाली 100 मिहलाओं में 1 से भी कम मिहला पहले एक वषर् के दौरान गभ्रधारण करती ह।ै (प्रत्येक 10,000
मिहलाओं में से 5)।
इंप्लाटं हटाने के तरु ंत बाद मिहला गभर्धारण करने के योग्य हो जाती ह।ै
फायदे
यह अनचाहे गभ्र, पेड़ू की सूजन सं बं धी रोग से जड़ु े लक्षणो,ं और खून की कमी से बचने मंे मददगार ह।ै
एक बार इसे लगवा लेने के बाद प्रयोगकता्र को कु छ करने की जरूरत नहीं होती ह।ै
सं भािवत दषु ्प्रभाव
इंप्लाटं का इस्तमे ाल करने वाली कु छ मिहलाएं रक्त स्राव के पैटनर् मंे िनम्निलिखत बदलाव होने की जानकारी देती ह:ैं
पहले कई महीनों तक: हल्का रक्त स्राव और कम िदन रक्त स्राव होना; अिनयिमत रक्त स्राव; मािसक रक्त स्राव न होना।
लगभग एक वषर् के बाद: हल्का रक्त स्राव और कम िदन रक्त स्राव होना; अिनयिमत रक्त स्राव।
स्रोत: ‘पिरवार िनयोजन: स्वास्थ्य किर्मयों के िलए वैिश्वक पुिस्तका’ 2011, िवश्व स्वास्थ्य सं गठन, जॉन हॉपिकं स और यएू सएड

2.3 Page 13

▲back to top


पिरवार िनयोजन के उपाय
िलवोनोरजेस्टेर्ल इंटा्र यटु ेराइन िसस्टम (एलएनजी-आइयएु स)
वैिश्वक साक्ष्य और कायर्क्रम के अनभु व
कीिनया में एक मोबाइल या सचल दस्ते के द्वारा जब िलवोनोरजेस्टे्रल इंटरा् यटु ेराइन िसस्टम को सीिमत स्तर पर , िबना
िकसी ख़ास प्रचार के पहुँचाया गया तो, लोगों ने इसे काफी पसं द िकया।
िचिकत्सा किर्मयों ने गभ्रिनरोध के अलावा इसके अन्य फायदों के िलए इसे िवशेष रूप से पसं द िकया1
िमरेना एलएनजी-आइयएु स और पैरागाडर् टी380ए उन मिहलाओं के िलए भी, जो कभी माँ नहीं बनी हंै एक प्रभावी
और सुरिक्षत गभ्रिनरोधक है। गभर्िनरोध के अन्य साधनोंके मकु ाबले एलएनजी-आइयएु स का वे मिहलायंे ज्यादा समय
तक उपयोग करती हैं िजन्होनं े कभी गभर्धारण नहींिकया है। एलएनजी-आइयएु स से पेडू का सं क्रमण बढ़ने या बाझं पन
के जोिखम मंे कोई वृिद्ध नहीं होती2
भारत मंे
भारत में एलएनजी-आइयएु स िमरेना के ब्राडं नाम से िबकता ह।ै यह िसफर् गरै सरकारी क्षते ्र मंे उपलब्ध ह।ै 2008-11 के बीच
हुए एक अध्ययन मंे यह बात सामने आयी है िक एलएनजी-आइयएु स अत्यिधक मािसक स्राव के मामलों मंे शल्य िचिकत्सा और
अन्य मेिडकल उपचार का एक बहे तर स्वीकाय्रता वाला एक अच्छा और असरकारक िवकल्प सािबत हो सकता ह।ै इससे कु छ
महीनों के उपयोग से ही रक्तस्राव में बहुत कमी आ जाती ह।ै एलएनजी-आइयएु स के दषु ्प्रभाव भी काफी कम हैं िजससे इसका
उपयोग जारी रखने की दर भी अिधक रहती है 3
1 ‘Introduction of the levonorgestrel intrauterine system in Kenya through mobile outreach: Review of service statistics and provider
perspectives’, David Hubacher,a Vitalis Akora,b Rose Masaba,a Mario Chen,a Valentine Veenaa. Global Health: Science and Practice 2014 |
Volume 2 | Number 1
2 ‘Use of the Mirena™ LNG-IUS and Paragard™ CuT380A intrauterine devices in nulliparous women’, Release date 15 December 2009, SFP
Guideline 20092, Abstract. Society of Family Planning. Elsevier Inc. doi:10.1016/j.Contraception.2010.01.010
3 Gupta Taru, Gupta Nupur, Gupta Sangeeta*, Bhatia Pushpa, Jain Jyoti, Kumar Sushma. Levonorgestrel Intrauterine System (LNG
IUS) in Menorrahgia: A Follow-Up Study. Open Journal of Obstetrics and Gynecology, 2014, 4, 190-196. http://dx.doi.org/10.4236/
ojog.2014.44032

2.4 Page 14

▲back to top


एलएनजी- आइयएु स : सामान्य जानकारी
एलएनजी-आइयएु स अगं ्रजे ी के T अक्षर के आकार का प्लािस्टक का उपकरण होता है जो लगातार थोड़ी-
थोड़ी मात्रा में िलवोनोरजसे ्टेल्र हामोर्न का स्राव करता रहता ह।ै
इसे एक प्रिशिक्षत स्वास्थ्य सेवा प्रदाता द्वारा गभाशर् य में लगाया जाता ह।ै
िकतना कारगर है
यह काफी कारगर ह।ै एलएनजी-आइयएु स इस्तमे ाल करने वाली प्रत्येक 100 मिहलाओं में पहले वष्र मंे एक से
भी कम गभर्धारण का मामला देखा गया ह,ै अथात्र एलएनजी-आइयएु स का इस्तमे ाल करने वाली प्रत्येक 1000
मिहलाओं में से 998 पहले वष्र में गभर्वती नहीं होगं ी।
इसे िनकालने के तरु ंत बाद स्त्री गभर्धारण के योग्य हो सकती ह।ै
फायदे
एलएनजी-आइयएु स गभ्रधारण, आयरन की कमी या खून की कमी और पेडू के सं क्रमणों से सुरक्षा प्रदान करता ह।ै
यह मािसक चक्र के दौरान होने वाली ऐठं न, पेडू के ददर्, और अिनयिमत रक्तस्राव के लक्षणों को कम करता ह।ै
इसका कोई ज्ञात स्वास्थ्य जोिखम नहीं ह।ै
सं भािवत दषु ्प्रभाव
रक्तस्राव के पैटन्र में बदलाव, जसै े कम रक्तस्राव या कम िदनों तक रक्तस्राव, अिनयिमत रक्तस्राव, मािसक रक्तस्राव
िबलकु ल नहीं होना और ज्यादा िदनों तक रक्तस्राव।
• अन्य सं भािवत दषु ्प्रभाव: मं ुहासे, सरदद्र, स्तनों मंे पीड़ा या दद्र, िमचली, वजन बढ़ना, चक्कर आना
• मनोभावों मंे बदलाव।
स्रोत: ‘पिरवार िनयोजन: स्वास्थ्य किर्मयों के िलए वैिश्वक पुिस्तका’ 2011, िवश्व स्वास्थ्य सं गठन, जॉन हॉपिकं स और यएू सएड

2.5 Page 15

▲back to top


पिरवार िनयोजन के उपाय
गभर्िनरोधक इंजेक्शन
वैिश्वक प्रमाण और काय्रक्रम के अनभु व
कई देशोंमें डीएमपीए और नेट-एन 1983 से ही उपलब्ध हंै। सं यकु ्त राज्य अमरीका ने 1992 मंे डीएमपीए को प्रमािणत
कर िदया था, िजसके कारण वहां इस गभर्िनरोधक के इस्तेमाल में काफी वृिद्ध हुई। गभ्रिनरोध के इस तरीके का इस्तेमाल
सबसे ज्यादा अफ्रीका महाद्वीप में िकया जाता है।
मेडागास्कर, मलावी और यगु ाडं ा मंे हाल ही मंे हुए अध्ययनोंसे पता चलता है िक अगर सामदु ाियक स्वास्थ्य कायर्कतार्ओं
को स्क्रीिनगं , इंजेक्शन देने के तरीके और स्वास्थ्य सलाह देने का समिु चत प्रिशक्षण िदया जाए तो ग्रामीण इलाकों मंे वे
भी उतने ही सुरिक्षत ढंग से मिहलाओं को डीएमपीए इंजेक्शन लगा सकती हंै िजतना िक स्वास्थ्य के न्द्र मंे काम करने
वाले स्वास्थ्य काय्रकतार्। साथ ही, इंजेक्शन की स्वीकायर्ता और इंजेक्शन लगवाना जारी रखने की प्रविृ त्त मंे भी कोई
खास अतं र नहीं आता।
एिशया में 1970 मंे पहली बार मिहलाओं को गभर्िनरोधक इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए, और आज यह इस क्षेत्र
में इस्तेमाल होने वाले सबसे पसं दीदा गभ्रिनरोधकों में से एक है। गभर्िनरोध के आधिु नक तरीकों मंे से गभ्रिनरोधक
इंजेक्शन के इस्तेमाल का अनपु ात भटू ान मंे 44%, बागं ्लादेश में 22%, नेपाल में 21% और इंडोनेिशया में 55% है।
भारत में
भारत मंे डीएमपीए बाजार मंे या सामािजक सं गठनों के जिरए ही उपलब्ध कराया जा रहा ह।ै भारत में लगभग 0.2% मिहलाएं (शहरी और ग्रामीण
दोनो)ं त्रमै ािसक प्रोजसे ्टीन गभर्िनरोधक इंजके ्शनों का इस्तमे ाल कर रही ह।ंै लगभग 0.4% मिहलाओं ने बताया िक उन्होनं े पहले इंजके ्शन का
इस्तमे ाल िकया है और 0.3% मिहलाएं नसबं दी करवाने से पहले इंजके ्शन का इस्तमे ाल कर रही थीं (NFHS III, 2005-06)। सोशल माके्र िटंग
द्वारा मुहयै ा कराए जा रहे गभ्रिनरोधक इंजके ्शनों की कीमत 25 रुपये है तो खुले बाज़ार में िबकने वाले इंजके ्शन 250 रुपये तक ह।ै
सरकारी काय्रक्रमों के जिरए डीएमपीए मुहयै ा कराने के िलए की जाने वाली पहलों मंे पहली पहल, राजस्थान के राजसमं द िजले मंे की गई जहाँ
सामुदाियक स्वास्थ्य कें द्रो,ं प्राथिमक स्वास्थ्य कें द्रों और कु छ उपकें द्रों में डीएमपीए के इस्तमे ाल को बढ़ावा िदया जा रहा है तथा दूसरी पहल उत्तर प्रदेश
के 11 कस्बों में सरकारी स्वास्थ्य कें द्रों में अबन्र हले ्थ इिनिशएिटव पिरयोजना के तहत एफ एच आई 360 सं स्था के जिरए कायािर् न्वत की गयी।
राजसमं द और उत्तर प्रदेश मंे हाल में िकए गए एक अध्ययन1 से पता चलता है िक यवु ा िववािहत मिहलाएं (औसत आयु 27 वषर्) बच्चों के जन्म के बीच
अतं र रखने के िलए डीएमपीए का इस्तमे ाल कर रही ह,ैं लगभग 21 प्रितशत मिहलाओं ने पहले बच्चे के जन्म के बाद डीएमपीए अपनाया ह।ै अध्ययन
से पता चला है िक वतम्र ान मंे डीएमपीए का इस्तमे ाल करने वाली 41% मिहलाओं ने चार या उससे अिधक बार इंजके ्शन लगवाया ह।ै 80% मिहलाएं
डीएमपीए को बच्चों के जन्म के बीच अतं र रखने के िलए एक अच्छा और लंबे समय तक कारगर गभर्िनरोधक मानती ह।ंै
1 Khan, M.E., Dixit, A., Gita Pillai. Documentation of the introduction of DMPA in public facilities: case study of Uttar Pradesh and Rajasthan.
2015. Population Council India. http://www.popcouncil.org/uploads/pdfs/2015RH_DMPA-ProjectBrief.pdf. Accessed on 30 December
2015.

2.6 Page 16

▲back to top


गभर्िनरोधक इंजेक्शन : सामान्य जानकारी
के वल प्रोजिे स्टन वाले गभर्िनरोधक इंजके ्शनों मंे डेपॉट-मेडो्र क्सीप्रोजसे ्टरॉन एसीटेट (डीएमपीए) और नॉरएिथस्टॉर् न एनएं थटे
(नेट-एन) शािमल ह।ैं िमिश्रत हामोर्न (प्रोजिे स्टन और एस्टो्र जने ) वाला गभ्रिनरोधक इंजके ्शन ह-ै साइक्लोफ्लमे । इन गभ्रिनरोधक इंजके ्शनों
को मािसक गभ्रिनरोधक इंजके ्शन भी कहा जाता ह।ै
डीएमपीए इंजके ्शन हर तीन महीने मंे बाहं या िनतंब में िदया जाता ह।ै
िकतना कारगर है
के वल प्रोजिे स्टन वाले इंजके ्शनों का अगर िनयिमत इस्तमे ाल िकया जाए तो इसे इस्तमे ाल करने वाली 100 मिहलाओं में से 99.72 पहले वषर्
मंे गभर्वती नहीं होगं ी।
औसतन डीएमपीए इस्तमे ाल कर रही मिहलाएं इंजके ्शन लगवाना बं द करने के चार महीने के बाद और नेट-एन इस्तमे ाल कर रही मिहलाएं
इंजके ्शन लगवाना बं द करने के एक महीने के बाद गभ्रधारण के योग्य हो जाती ह।ैं
फायदे
डीएमपीए इंजके ्शन मददगार ह:ंै
• गभर्धारण रोकने में।
• गभाशर् य के अदं रूनी परत के कैं सर की रोकथाम में।
यटू ेराइन फायब्राइड िसम्प्टोमेिटक पेिल्वक सूजन रोग की रोकथाम में।
आयरन की कमी से होने वाले खून की कमी की रोकथाम में।
डीएमपीए इंजके ्शन:
• िसकल सेल एनीिमया से ग्रस्त मिहलाओं को होने वाले िसकल सेल सं कट को कम कर सकता ह।ै
• एं डोमेिटयर् ोिसस के लक्षणों (पेडू में दद्र, अिनयिमत रक्तस्राव) को कम कर सकता ह।ै
सं भािवत दषु ्प्रभाव
कु छ प्रयोगकताओर् ं ने गभर्िनरोधक इंजके ्शन के इस्तमे ाल से ये परेशािनयां होने की िशकायत की ह:ै
वज़न में विृ द्ध, सरदद्र,चक्कर आना, पेट फू लना और बचे ैनी, मनोभावों में बदलाव, सेक्स की इच्छा में कमी, हड्डी कमजोर होना। डीएमपीए के
इस्तमे ाल से मािसक स्राव के पैटनर् मंे िनम्निलिखत बदलाव हो सकते ह:ैं
• पहले तीन महीने: अिनयिमत मािसक स्राव या मािसक स्राव बहुत िदनों तक होना।
• एक साल में: मािसक स्राव न होना या अिनयिमत होना।
डीएमपीए के बिनस्पत नेट−एन इस्तमे ाल करने वाली मिहलाओं मंे पहले छः महीने में कम िदनों तक मािसक स्राव अथवा साल भर बाद मािसक
रक्तस्राव न होने की सं भावना कम होती ह।ै
Source: Family Planning: A Global Handbook for Providers, 2011, WHO, Johns Hopkins and USAID
2 (i) Trussell J, Kost K: Contraceptive failure in the United States: A critical review of the literature. Stud Fam Plann 18:237, 1987.
(ii) Trussell J. Contraceptive efficacy. In: Hatcher RA, Trussell J, Nelson AL, Cates W, Stewart FH, Kowal D. Contraceptive Technology:
Nineteenth Revised Edition. New York NY: Ardent Media, 2007.
(iii) WHO Medical Eligibility Criteria for Contraceptive Use -- 4th ed. © World Health Organization 2009.

2.7 Page 17

▲back to top


पिरवार िनयोजन के उपाय
के वल प्रोजेिस्टन वाली गभर् िनरोधक गोिलयाँ
वैिश्वक प्रमाण और कायर्क्रम के अनभु व
के वल प्रोजेिस्टन वाली (पीओपी गोिलया)ं वतर्मान डेसोजेस्टे्रल गभर् िनरोधक गोिलयाँ सुरिक्षत होने के साथ-साथ बेहद
असरदार है। इन्हें सव्रप्रथम 2003 मंे अनमु ोिदत िकया गया था। िवश्व स्वास्थ्य सं गठन के एक िनयं ित्रत अध्ययन मंे
पीओपी गोिलयों का इस्तेमाल करने वाली मिहलाओं में उनका इस्तेमाल न करने वाली मिहलाओं की तुलना मंे आघात,
िदल के दौरे और नसों में खनू के थक्के जमने के खतरों में ख़ास बढ़ोत्तरी दजर् नहीं की गई (डब्ल्यएू चओ 1998)। हालािं क
माताओं के स्तनों में दूध बनने की प्रिक्रया पर िमिश्रत हामोर्नों वाली गभ्रिनरोधक गोिलयों के दषु ्प्रभावों को ले कर कु छ
िचतं ाएं हंै, परन्तु पीओपी के मामले मंे ऐसी कोई आशं का नहींहै (मोिगया 1991; डनसन 1993; मैके न 1994; बन्रदोित्तर
2001; एफएफपीआरएचसी 2004)1
भारत मंे
भारत में पहली डेसोजसे ्टेल्र पीओपी गोिलयां 2005 में लाई गयी।ं वतम्र ान मंे भारतीय बाज़ार में डेसोजसे ्टेलर् पीओपी गोिलयों
के पाचँ ब्राडं उपलब्ध ह।ैं इनका अनमु ािनत बाज़ार लगभग 1,80,000 चक्र प्रित वष्र का ह।ै सेराजटे लगभग 1,45,000 चक्र
प्रित वषर् की वािर्षक िबक्री के साथ बाज़ार मंे सबसे आगे है और िपछले तीन वषोर्ं के दौरान इसकी वािर्षक दर मंे 15 प्रितशत से
अिधक की बढ़ोतरी हुई ह।ै
1 Grimes DA et al. Progestin-only pills for contraception. Cochrane Database Syst Rev. 2013 Nov 13;11:CD007541. doi: 10.1002/14651858.
CD007541.pub3.

2.8 Page 18

▲back to top


प्रोजेिस्टन : सामान्य जानकारी
पीओपी गोिलयों में प्रोजिे स्टन की बहुत कम खुराक होती है जो मिहलाओं के शरीर मंे मौजदू प्राकृ ितक हॉमोर्न प्रोजसे ्टोरोन
जसै ा ही होता ह।ै
िकतना कारगर है
पीओपी गोिलयां अवािं छत गभर्धारण को रोकने में मददगार ह:ंै
पीओपी गोिलयों का इस्तमे ाल कर रही और स्तनपान कराने वाली 100 मिहलाओं में से 99 पहले वषर् में गभ्रवती
नहीं होगं ी।
पीओपी गोिलयों का इस्तमे ाल कर रही और स्तनपान नहीं कराने वाली हर 100 में से
90-97 मिहलायंे पहले वषर् मंे गभर्वती नहीं होगं ी।
पीओपी गोिलयों का सेवन बं द करने के तरु ंत बाद स्त्री गभ्रधारण के योग्य हो जाती ह।ै
फायदे
पीओपी गोिलयों का इस्तमे ाल स्तनपान कराते हुए भी िकया जा सकता ह।ै स्तनपान का गभर्िनरोधक प्रभाव बढ़
जाता ह।ैं
इनका इस्तमे ाल कभी भी बं द कर सकते ह,ैं इसके िलए िकसी स्वास्थ्यकमीर् की मदद की कोई जरूरत नहीं ह।ै
ऐसी मिहलाएं पीओपी गोिलयां ले सकती हैं जो एस्टोर् जने यकु ्त गभर्िनरोधक तरीके इस्तमे ाल नहीं कर सकती ह।ै
इसका कोई ज्ञात स्वास्थ्य जोिखम नहीं ह।ै
सं भािवत दषु ्प्रभाव
पीओपी गोिलयां रक्तस्राव के पैटनर् को प्रभािवत करती ह:ैं
• स्तनपान कराने वाली मिहलाओं मंे बच्चे के जन्म के बाद मािसक स्राव शुरू होने मंे ज्यादा िवलम्ब।
• रक्तस्राव अक्सर होना, अिनयिमत होना, लम्बे समय तक होना या िबलकु ल नहीं होना।
सरदद्र,चक्कर आना, मनोभावों में बदलाव, स्तनों में पीड़ा, पेट दद्र और िमचली।
स्तनपान नहीं कराने वाली मिहलाओं के अडं कू पों (ovarian follicle) के आकार मंे विृ द्ध।
स्रोत: ‘पिरवार िनयोजन: स्वास्थ्य किर्मयों के िलए वैिश्वक पुिस्तका’ 2011, िवश्व स्वास्थ्य सं गठन, जॉन हॉपिकं स और यएू सएड

2.9 Page 19

▲back to top


2.10 Page 20

▲back to top


रीयालाईिजगं किमटमेंटस्
टू फै िमली प्लािनगं
काय्रक्रम का प्रमुख उद्देश्य नीित िनधार्र कों (सं सद सदस्यो,ं स्वास्थ्य और पिरवार कल्याण
मं त्रालय तथा सं बं िधत िवभागों के अिधकािरयो,ं मीिडया और िसिवल सोसायटी के सं गठनो)ं
को पिरवार िनयोजन काय्रक्रम के बारे मंे जानकारी उपलब्ध कराना ह।ै यह काय्रक्रम पिरवार
िनयोजन सेवाओं को बहे तर बनाने उनकी उपलब्धता और पहुंच बढ़ाने व गभर्िनरोधकों के
और ज्यादा िवकल्प उपलब्ध कराने के िलए कायर् करता ह।ै काय्रक्रम ऐसी बहे तर नीितयों के
पक्ष में है िजनका आधार मानवािधकारवाद और स्त्री सशिक्तकरण हो।
B-28, Qutab Institutional Area, Tara Crescent, New Delhi - 110 016, INDIA
info@populationfoundation.in | www.populationfoundation.in