तीन राज्यों मंे यवु ाओ ं पर कोविड-19 के प्रभाव का त्वरित मूल्यांकन
आवश्कताएँ और प्राथमिकताएँ
सिफारिशंे
त्वरित मूल्यांकन के जाँच परिणामों के आधार पर, हमने युवाओ ं की
निम्नलिखित मुख्य आवश्यकताओ ं और प्राथमिकताओ ं की पहचान की ह,ै
जिन्ंेह महामारी के दौरान और उसके बाद भी बनाए रखा जाना ज़रूरी ह।ै
z प्रजनन स्वास्थ्य तक पहँुचः जसै ा कि महामारी ने दिखाया है और
हमारे मूल्यांकन ने दोहराया ह,ै कोविड-19 के प्रकोप के दौरान
प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओ ं तक पहुँच को एक झटका लगा ह।ै युवाओ ं
ने ऐसी सेवाओ ं के लिए अधरू ी ज़रूरतों की सूचना दी, क्योंकि भारत
की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का ध्यान महामारी के नियतं ्रण और
प्रबधं न पर कें द्रित था।
z मानसिक स्वास्थ्य देखभालः युवाओ ं ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल
सेवाओ ं की आवश्यकता व्यक्त की है और जिन लोगों ने इनका
उपयोग किया, उन्होंने इसे सकारात्मक रूप से प्रभावशाली पाया।
हालाँकि, कई युवाओ ं के लिए, मानसिक स्वास्थ्य के अनौपचारिक
तरीके - जैसे कि दोस्तों के साथ बातचीत - उपलब्ध ससं ाधनों
से अधिक प्रबल ह।ंै इन अनौपचारिक स्रोतों को अनिवारय् रूप से
सत्यापित नहीं किया जाता है और वे जो सूचना या मध्यस्थता प्रदान
करते ह,ैं वह आवश्यक रूप से जाचँ ी नहीं जाती या उचित नहीं
होती। इसलिए, मानसिक स्वास्थ्य सवे ाओ ं के औपचारिक तरीकों
को विकसित और सुव्यवस्थित करने की तत्काल आवश्यकता है
जो प्रशिक्षित हों, विश्वसनीय हों और जो युवाओ ं के लिए आसानी से
सुलभ हों।
z महिलाओ ं पर देखभाल का दगु ना भारः पुरुष प्रतिभागियों की
तुलना मंे महिला प्रतिभागियों ने अपने घरले ू काम के साथ-साथ
घर पर होने वाले झगड़े बढ़ने की अधिक अनुपात मंे सूचना दी। यह
संबदं ्ध आं कड़ों मंे भी नज़र आया, जैसे कि अधिक महिलाओ ं ने अपने
टीवी और सोशल मीडिया के उपयोग में कमी बताई (सभं वतः उनके
बढ़ते कार्यभार के कारण जो मनोरजं न के लिए कम समय देता ह)ै ,
और उत्तर प्रदेश मंे महिलाओ ं के एक बड़े हिस्ेस ने महामारी के दौरान
कु छ मानसिक स्वास्थ्य सवे ाओ ं का उपयोग करने की सचू ना दी ह।ै
घरले ू कारभ्य ार साझा करने पर सामाजिक सदं ेश और मानसिक
स्वास्थ्य सेवाओ ं की आसान उपलब्धता के माध्यम से, इस पर
तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता ह।ै
z परु ुषों मंे आर्थिक चिंताः कु छ परु ुषों ने महामारी से आर्थिक पतन
के बारे में चिंतित होने की सूचना दी; जो पुरुष पहले से कारयर् त
थ,े ज्यादातर उन्होंने चिंता व्यक्त की और तालाबंदी के बाद जो
बेरोजग़ार थ,े लके िन सक्रिय रूप से रोजग़ार की तलाश कर रहे थे।
कोविड-19 के मद्ेदनजर मानसिक स्वास्थ्य सवे ाओ ं को आर्थिक चिंता
को ध्यान में रखना चाहिए और इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए
सुसज्जित होना चाहिए।
यवु ाओ ं की उपरोक्त आवश्यकताओ ं को संबोधित करने के लिए,
निम्नलिखित रणनीतियों का सुझाव दिया गया हःै
z सामाजिक रूप से हाशिए के समदु ायों मंे सचू ना और प्रसार
को मज़बतू करनाः वरम्त ान महामारी जसै े सार्वजनिक स्वास्थ्य
आपातकाल के दौरान प्रसारित होने वाली सूचनाओ ं के मखु ्य संदेशों
को मज़बूत करने की आवश्यकता ह।ै इस जानकारी को सामाजिक
रूप से हाशिए के समुदायों जसै े कि एससी और एसटी तक पहँचु ाने
के लिए ठोस प्रयास किए जाने की ज़रूरत ह।ै इस कार्य को टीवी
पर लक्षित लोक सवे ा घोषणा (पीएसए), व्हाट्सएप्प के माध्यम से
संचार और फ्रं ट लाइन वर्कर्स (एफएलडब्ल)ूय् द्वारा घर-घर जाकर
पूरा किया जा सकता ह।ै
z पहली पंक्ति के कारत्य ाओ ं को प्रशिक्षित करनाः एफएलडब्लय्ू
- सचू ना के स्रोतों के रूप म,ंे प्राथमिक स्वास्थ्य सवु िधाओ ं तक
पहँुचने के लिए, संदिग्ध लक्षणों की रिपोर्टिंग के लिए और मानसिक
स्वास्थ्य सबं ंधी जानकारी के स्रोतों के रूप मंे - कई भूमिकाओ ं मंे
महत्वपूर्ण रह।े बहु-स्तरीय और ज़मीनी स्तर के कर्मियों के रूप मंे,
एफएलडब्लयू् भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की नींव का
प्रतिनिधित्व करते ह।ैं उन्ंहे मज़बूत बनाने, प्रशिक्षण देने और सशक्त
बनाने मंे समय और ससं ाधनों का निवेश करना, महामारी के दौरान
और आग,े दोनों में हमारे काम आएगा।
z प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओ ं को प्राथमिकताः जैसा कि महामारी
ने दिखाया है और हमारे आं कलन ने दोहराया है, कोविड-19 के
प्रकोप के दौरान प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओ ं और परिवार नियोजन
से संबंधित सेवाओ ं तक पहुँच को एक झटका लगा है। युवाओ ं
ने ऐसी सेवाओ ं से जुड़ी अधूरी ज़रूरतों की सूचना दी, क्योंकि
भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का ध्यान महामारी के
नियंत्रण और प्रबंधन पर कंे द्रित था। इसलिए, प्रजनन स्वास्थ्य
के लिए निरंतर प्राथमिकता की पैरवी करने की आवश्यकता
है। एफएलडब्ल्यू को प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओ ं को प्रभावी और
लगातार बनाए रखने के लिए बेहतर संसाधनों से सुसज्जित करने
की आवश्यकता है। इसके अलावा, यह सुनिश्चित करने के लिए
कि प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं बाधित न हों, सार्वजनिक बहस के
स्तर पर लगातार यह दोहराए जाने की आवश्यकता है कि प्रजनन
स्वास्थ्य, सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक मौलिक और अटूट पहलू
है। यह भी कहने की ज़रूरत है कि इसकी गुणवत्ता की प्रदानगी
एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता है और विशेष रूप
से एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के समय में। प्रासंगिक
सामाजिक संगठनों को इस ओर शासन के विभिन्न स्तरों के साथ
सहयोग और काम करने की आवश्यकता है।
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